जहाँ पूरी दुनिया कोरोना महामारी से परेशान है वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार के लिए गधों कि बढ़ती आबादी एक नई उम्मीद कि किरण लेकर आई है।
आपको बता दें, कि पाकिस्तान के हालात इस कदर बुरे हैं, कि लोगों को खाने के लाले पड़ गए है। ना जाने कितने लोग महामारी के दौरान बेरोजगार हो गए लेकिन वो कहावत है ना, 'डूबते को तिनके का सहारा' .. जी हाँ , पाकिस्तान की आवाम को अब गधों का ही सहारा है अब गधे ही पालेंगे पाकिस्तान कि आवाम को।
इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि गधों कि आबादी में पाकिस्तान समूचे विश्व में तीसरे स्थान पर है। और पाकिस्तान का दोस्त चीन पाकिस्तान कि अर्थव्यवस्था को डगर पर लाने के लिए मदद भी करता है। दरसल, चीन पाकिस्तान से बड़ी संख्या में गधे खरीदता है। जिसका अच्छा खासा मुनाफा पाकिस्तान को होता है।
हालांकि, चीन द्वारा गधे कि भारी मांग इसके वैश्विक आबादी के लिए बड़ा खतरा है।
नवंबर 2019 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में गधों कि आबादी अगले पांच वर्षों में खत्म हो सकती है, क्योंकि चीन दवाई बनाने के नाम पर भारी संख्या में गधों कि हत्या करता है।
हैरानी कि बात तो ये है कि सबसे अधिक गधे कि आबादी वाला देश होने के बावजूद भी चीन पाकिस्तान में जाकर गधे पालन को बढ़ावा दे रहा है। पिछले वर्ष 2019 में पाकिस्तान में स्थित खैरब के पख़्तूनख्वा प्रांत में पशुपालन विभाग ने विशेष तौर पर चीनी कंपनियों कि जरूरत को पूरा करने के लिए ' गधा पालन' को और ज्यादा बढ़ावा देने के फैसला किया।
तो पाकिस्तान को अब अपने गधों से उम्मीद भी क्यों ना हो!
आखिर इस महामारी के दौर में पाकिस्तान कि गिरती अर्थव्यवस्था को पटरी पर भी तो गधे ही लाएंगे।
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