भारत और चीन के बीच LAC पर चल रहे गतिरोध 15 जून को काफी ज्यादा बढ़ गया जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए। लेकिन बात ये है कि यह चीज यहां तक पहुंची कैसे क्योंकी अभी कुछ दिन से दोनों देशों के बीच शांति वार्ता चल रही थी और भारत के थल सेना प्रमुख के द्वारा भारत की जनता को आश्वासन दिया गया था कि स्थिती पर पूरा नियंत्रण है।
ताजा खबर के अनुसार चीन की सेना गलवान वैली के पास कुछ हफ़्तों से टेंट लगाकर बैठे थे। जब शांति वार्ता शुरू हुई तो दोनों देशों की इस बात पर सहमति बनी की LAC से पीछे हटना है । भारत की ओर से एक टीम कर्नल संतोष बाबू के नेतृत्व में LAC पर चीन की सेना की स्थिति को जानने के लिए भेजा गया लेकिन चीन की सेना ने भारीतय सेना पर हमला कर दिया ।
सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन के बीच 1993, 1996, 2013 में कई समझौते हुए है । इस समझौते के अनुसार सीमा पर किसी भी प्रकार की कोई लड़ाई नहीं होगी अगर फिर भी ऐसी कोई स्थिती आएगी तो मामले को उच्चस्तरीय बैठक कर के निपटारा किया जाएगा लेकिन फिर भी ऐसे स्थति क्यों आयी। चीन ने इन सभी समझौतो को दरकिनार कर धोखे से भारतीय सेना पर अपनी फितरत के अनुसार आक्रमण किया । इतना कुछ होने के बावजूद भी चीन को अपनी गलती पर पछ्तावा के बजाए भारत को धमकी दे रहा है। चीन की सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के प्रमुक संपादक हु सिजिंग ने ट्विट किया कि "जहाँ तक मैं जानता हूं चीन की तरफ भी सेना को काफी नुकसान हुआ है, मैं भारत को बताना चाहता हु की आप उग्र न हो और चीन को कमजोर समझने की गलती न करे चीन भारत के साथ किसी भी प्रकार का कोई टकराव नही चाहता है लेकिन हम डरते भी नहीं है"।
Based on what I know, Chinese side also suffered casualties in the Galwan Valley physical clash. I want to tell the Indian side, don’t be arrogant and misread China’s restraint as being weak. China doesn’t want to have a clash with India, but we don’t fear it.
— Hu Xijin 胡锡进 (@HuXijin_GT) June 16, 2020
फिर जब ANI की तरफ से खबर आया कि भारतीय सेना ने चीन की सेना के 43 जवानों को मार गिराया तो उनके तरफ से दूसरा ट्विट आया कि "चीन की सरकार भारत के साथ हुए झड़प में चीन की सेना को हुए नुकसान के आकड़ो को नही बता रहा है क्योंकि चीन नही चाहता की दोनों देशों के बीच एक तुलनात्मक जंग शुरू हो जाये यह चीन का बहुत ही सराहनीय कदम है।
Chinese side didn’t release number of PLA casualties in clash with Indian soldiers. My understanding is the Chinese side doesn’t want people of the two countries to compare the casualties number so to avoid stoking public mood. This is goodwill from Beijing.
— Hu Xijin 胡锡进 (@HuXijin_GT) June 16, 2020
बल्कि सही मायने में तो जब भी चीन की सेना को ज्यादा नुकसान होता है तो वो ऐसा ही करते है जैसे 1967 के नाथुला में जब भारतीय जवानों ने चीन की सेना के लगभग 340 जवानों को मार गिराया था तब भी चीन की तरफ से कोई आंकड़ा नहीं पेश किया गया था।
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