कोरोना वायरस महामारी के दौरान भारत उन देशों में से एक था जिसने सबसे कड़ा लॉकडाउन लगाया था । पूरे अप्रैल महीने में किसी भी प्रकार की कोई आर्थिक गतिविधि नहीं हुई । इस दौरान देश अनेक प्रकार की समस्या से गुजरा जिसमें प्रवासी मजदूरों संख्या काफी भयावह थी।
एक तरफ जहाँ कोरोना वायरस जैसी भयानक बीमारी है वही दूसरी तरफ कई लोगो को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ रहा है। इसका कोई सरकारी आंकड़ा तो आपको कही देखने को नहीं मिलेगा लेकिन एक स्वतन्त्र संगठन CIME (Centre for Monitoring Indian Economy) के द्वारा बेरोजगारी को लेके एक सर्वे कराया जाता है। जिसे पिरामिड हाउसहोल्ड कहा जाता है इसके अनुसार मार्च 2019 से मार्च 2020 तक कुल लगभग 40 करोड़ लोगों के पास रोजगार था लेकिन जब अप्रैल के महीने में सर्वे करया गया तो पता चला कि नौकरियों के आंकड़ा 40 करोड़ से गिरकर 28 करोड़ लोगों पर आ गयी मतलब इस लॉकडाउन के दौरान लगभग 22 करोड़ लोगों की नौकरी गयी है।
इस सर्वे के अनुसार सबसे अधिक छोटे व्यापारी और श्रमिक वर्ग के लोगो को नुकसान हुआ उमीद है कि जल्दी ये इसका उपचार किया जाएगा।
कोरोना के दौरान महिलाओं और दलित वर्ग की समस्या
इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक नौकरियों के जाने के मामले में जेंडर गैप काफी ज्यादा है। मतलब की परुषों की तुलना में महिलाओं की नौकरिया अधिक जा रही है। 2004-05 से 2017-18 तक पुरुषों एवं महिलाओ के बीच शिक्षा के क्षेत्र में जो जेंडर गैप था वो इस दौरान काफी हद तक काम हुआ था लेकिन नौकरियों के क्षेत्र में जो गैप है उसमें ज्यादा सुधार नही हुआ है बल्कि और बढ़ा ही है। तो क्या इस दौरान ये जेंडर गैप और अधिक बढ़ जाएगा? इसके अलावा sc/st/obc वर्ग में भी इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है।
जबकि इस महामारी के दौरान इन्हीं दो वर्गों को कोरोना जैसी भयानक बीमारी होने का सबसे अधिक खतरा भी है। जैसे कि आशा कार्यकर्ता जिसमें अधिक्तर महिलाये ही होती है जिन्हें इस दौरान घूम-घूम कर सर्वे करना पड़ रहा है। इस समय जहां देश मे बीमारी न फैले इसके लिए सरकार ने स्वीमिंग पूल बन्द किये लेकिन उस लादित वर्ग के बारे में सोचिये जो सीवर से आपकी गंदगी को साफ कर रहे है।
सरकार द्वारा लॉकडाउन तो किया गया पर जिस उद्देश्य से किया गया वो तो कही दिखाई भी नही दे रहा है। बल्की लगातार केसों में वृद्धि ही देखने को मिल रही और ऐसा लग रहा है कि अब सरकार भी आगे बढ़ गयी है पर इस दौरान जिनकी नौकरियां गयी है उनका क्या होगा, अगर कोरोना से बच भी गए तो भुखमरी से कैसे बचेंगे ?
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