भारत के द्वारा बनाया कोविड-19 वैक्सीन 'कोवैक्सिन' का मानव परीक्षण दिल्ली AIIMS द्वारा शुरू। हालांकि इसका परीक्षण छोटी मात्रा में पटना AIIMS और PGIMS रोहतक में किया गया था परंतु बड़े स्तर पर इसका परीक्षण दिल्ली AIIMS द्वारा किया जा रहा है।
किसी भी वैक्सीन को बनाने में सामान्यतः 10 से 15 साल लग जाते हैं। लेकिन वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए सरकार एवं वैज्ञानिको द्वारा काफी तेजी के साथ कार्य किया जा रहा है फिर भी अगर सब कुछ सही रहा तो वैक्सीन के बनते बनते लगभग 1 साल का समय लग जायेगा ऐसा कई विद्वानों द्वारा कहा जा रहा है।
किसी भी वैक्सीन को बनाने में 5 चरण लगते है-
1:- जब कोई भी महामारी फैलती है या बीमारी तो वैज्ञानिक ये पता करते करते कि ये किस वायरस के कारण हो रहा है इनमे काफी समय लगता है काफी अध्ययन करना पड़ता है जैसे ही जानकारी प्राप्त होती है उससे लड़ने के लिए उसी वायरस के जीवित तथा मृत वायरस को लेके हमारे शरीर मे डाल जाता है क्योंकि वैसे तो हमारा शरीर हर एक वाइरस से लड़ने के लिए खुद ही एंटीबाडी बना लेता है लेकिन जब कोई अलग तरह का वायरस जिसे वो पहली बार अनुभव करता है उससे जब वो नही लड़ पता है तो हमे वैक्सीन के माध्यम से अपने शरीर को उस वायरस से लड़ने के लिए सक्ष्म बनाना पड़ता है। कोवैक्सिन का निर्माण भारत बायो टेक के द्वारा किया जा रहा है जिसमें SARS वायरस मृत रूप डाला जा रहा ताकि हमरा शरीर इसे पहचान जाए और इससे लड़ने के लिए तैयार हो जाये। जैसे ही वैक्सीन का निर्माण पूरा हो जाता है तो ये अपने अगले चरण में प्रवेश करती है।
2:- वैक्सीन बनने के बाद ये कितना कामगार है इसे पता करने के लिए इसे अलग अलग चरण में परीक्षण किया जाता है सबसे पहला इसका परीक्षण किस छोटे जानवर पर जैसे कि चूहा आदि अगर उसपर ये सफल रहता है तो इसे अगले चरण में भेज जाता हैं
3:- जानवरो पर सफल होने बाद इसका प्रयोग अब इंसानो पर शुरू किया जाता है। इंसानो पर इसका प्रयोग तीन चरण में लिया जाता है -
सबसे पहले 100 इंसानो पर जिनकी उम्र 18 से 55 साल की है उन पर परीक्षण किया जाएगा सफल होने पर पहले से कुछ अधिक मात्रा के व्यक्ति पर परीक्षण करते है उसमें भी सफल होने पर बड़े संख्या में इंसानो पर परीक्षण करते है सब कुछ ठीक रहता है तो अगले चरण में प्रवेश करते है।
4:- इस चरण में सभी परीक्षण के परीमाण के साथ कि ये वैक्सीन कितना कामगार है सरकार से संबंधित आयोग के जाते है और सरकार इसका मूल्यांकन करके इसको प्रमाणित करती है इसके बाद यह आगले चरण में जाति है।
5:- इसमे इस वैक्सीन का बड़े पैमाने पर निर्माण किया जाता है और सभी लोगो तक पहुचाया जाता है।
ये चीजें देखने मे आपको हो सकता हो कि काफी सरल दिख रही हो पर वास्तव में इसमे काफी समय लग जाता और किसी प्रकार की कोई लापरवाही नही किया जा सकता नही तो काफी गया भयानक स्थिति आ सकती है।
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