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कोरोना समाचार:- भारत पहुंचा 3 लाख के पास, मरने वालों की संख्या साढ़े 8 हज़ार के ऊपर

file image दिन दिन पर कोरोना के मामलों में बढ़ौतरी होती ही जा रही है। ताज़ा आंकड़ों में भारत कुल कोरोना मामलों में 2,98,283 तक जा पहुंचा है और वहीं मरने वालों की संख्या 8,501 तक जा पहुंचा है। भारत में अभी तक कुल 1,46,972 लोगों ने कोरोना को मात दी है और एक्टिव केसेस 1,42,810 पर जा पहुंचा है। भारत सबसे ख़राब कोरोना मामलों में चौथे स्थान पर है। भारत ने अभी तक 52,13,140 सैंपलों की जांच कर ली है। वहीं रिकवरी रेट भी पहली बार 49 प्रतिशत ऊपर जा पहुंचा है। Source-Worldometer बात करें अमेरिका की तो वहां हालत बद से बदतर होती जा रही है। कोरोना मामलों की कुल संख्या 21 लाख के पास जा पहुंची है। वहीं मरने वालों कि तादाद 1,16,034 तक पहुंच चुकी है।

इमरान अपने कटोरे से मदद करना चाहता है भारत का

जिसके पास ना खाने को है ना धोने को है वो मुंगेरी लाल के हसीन सपने देख रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने The Express Tribune में छपी रिपोर्ट का हवाला देते हुए भारत की मदद करने की पेशकश की है। ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार भारत में लॉकडाउन के बाद बेरोज़गारी चरम सीमा पर है। 84 प्रतिशत भारतीय कामगारों की मासिक वेतन के घटौती हुई है। लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों का पलायन बड़े पैमाने पर हुआ है और घर पहुंचने पर उनके बीच सम्पत्ति बंटवारे को लेकर विवाद हो रहा है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 3 में से 1 परीवार बिना सरकारी मदद के एक हफ्ते से ज्यादा अपना गुजर बसर नहीं कर सकती। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि भारत सरकार को हमारे डायरेक्ट कैश ट्रांसफर और फूड सप्लाई से कुछ सीख लेना चाहिए। लेकिन अब कटोरा गुरु को कौन बताए जिनके खुद के जीने के लाले पड़े हो वो दूसरे को ज्ञान नहीं बांटते। भौकाल गुरु का अगर ये पोस्ट इमरान खान तक पहुंच जाए तो सुन लेना की भारत अगर आज भी अन्न कि उपज रोक दे तो 3 साल तक बैठ के खा सकता है। अपनी जीडीपी और भारत की जीडीपी को एक बार देख लेना। भारत...

लद्दाख के सांसद ने दिया राहुल गांधी को करारा जवाब

पिछले लगभग एक महीने से चीन और भारत के बीच लद्दाख क्षेत्र में देश की सीमा को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। दोनों देशों की सेनाओं में भी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर झड़पों की भी खबरें आ रही है। वहीं चीन कि सेना पर ये भी आरोप है कि वे भारतीय सीमा का अतिक्रमण कर भारत के इलाके में घुस आयी है। इन दो देशों के तनातनी के बीच विपक्ष से कांग्रेस के नेता और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने भी मोदी सरकार पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया और मोदी सरकार से जवाब मांगा कि सरकार बताए की चीन की सेना भारत के किन किन इलाकों पर कब्ज़ा कर चुकी है। हालांकि अभी तक केंद्र सरकार की तरफ से इस पर कोई जवाब नहीं आया है। लेकिन लद्दाख से बीजेपी सांसद जम्यांग ट्सेरिंग नमज्ञाल ने फ्रंट फुट पर आकर राहुल गांधी को जवाब दिया और उस पर प्रतिक्रिया भी मांगी। जाम्यांग ने कहा " हाॅं, चीन ने भारत के इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया है।" और पूरा विस्तृत ब्योरा दिया साथ ही साथ अपने ट्विटर एकाउंट से कब्जे किए गए इलाकों का फ़ोटो भी डाला। जाम्यांग ने बताया कि चीन ने अक्साई चीन (37244 sq km) 1962 में कां...

जनता में हाहाकर, नेता कर रहे प्रचार

File image ये उस  देश का दुर्भाग्य ही है कि जिस देश की जनता में महामारी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, बेरोजगारी अपने चरम पर है, देश की आधी जनता के पास खाने के लिए भर पेट खाना नहीं है। और उस देश का गृहमंत्री आगामी चुनाव की तैयारियों में लीन है और 72000 एलसीडी स्क्रीन द्वारा वर्चुअल रैलियां कर रहे है। जी हां बिल्कुल सही समझा आपने हम बात कर रहे हैं अमित शाह की जो इन दिनों आगामी बिहार चुनाव को लेकर स्ट्रैटजी बना रहे है और वर्चुअल रैलियां कर रहे हैं। ये वही बिहार है जो कोरोना काल में सबसे ज़्यादा परेशान हुआ है। यहां की जनता अपने घर आने के लिए खून के आंसू रोए हैं। अमित शाह उस समय कहाँ थे जब लॉकडाउन के समय यही बिहारी हजारों किलोमीटर पैदल चल रहे थे। केवल इसलिए ताकि वो अपने घर वापस पहुंच जाए। ना जाने उसमें से कितनों ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। कितनी मज़बूर गर्भवती मांओं ने सड़कों पर ही अपने बच्चों को जन्म दिया।  तब तो अमित शाह नजऱ नहीं आए और अब जब बिहार चुनाव करीब है तो वो उन्हीं बिहारियों से वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर संपर्क साध रहे हैं। अब देखने वाली बात होगी कि बिहार में बीजेपी और जेडीयू को...

अरे मोदी जी न बीमारी रुक रही है और न ही बेरोजगारी

कोरोना वायरस महामारी के दौरान भारत उन देशों में से एक था जिसने सबसे कड़ा लॉकडाउन लगाया था । पूरे अप्रैल महीने में किसी भी प्रकार की कोई आर्थिक गतिविधि नहीं हुई । इस दौरान देश अनेक प्रकार की समस्या से गुजरा जिसमें प्रवासी मजदूरों संख्या काफी भयावह थी। एक तरफ जहाँ कोरोना वायरस जैसी भयानक बीमारी है वही दूसरी तरफ कई लोगो को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ रहा है। इसका कोई सरकारी आंकड़ा तो आपको कही देखने को नहीं मिलेगा लेकिन  एक स्वतन्त्र संगठन CIME (Centre for Monitoring Indian Economy) के द्वारा बेरोजगारी को लेके एक सर्वे कराया जाता है। जिसे पिरामिड हाउसहोल्ड कहा जाता है इसके अनुसार मार्च 2019 से मार्च 2020 तक कुल लगभग 40 करोड़ लोगों के पास रोजगार था लेकिन जब अप्रैल के महीने में सर्वे करया गया तो पता चला कि नौकरियों के आंकड़ा 40 करोड़ से गिरकर 28 करोड़ लोगों पर आ गयी मतलब इस लॉकडाउन के दौरान लगभग 22 करोड़ लोगों की नौकरी गयी है। इस सर्वे के अनुसार सबसे अधिक छोटे व्यापारी और श्रमिक वर्ग के लोगो को नुकसान हुआ उमीद है कि जल्दी ये इसका उपचार किया जाएगा। कोरोना के दौरान महिलाओं और दलित वर्ग की समस्य...

पति और पत्नी में हुआ मोदी की वजह से जमकर झगड़ा

जबसे देश में कोरोना महामारी ने दस्तक दी तबसे मोदी सरकार समय समय पर कुछ बड़े कदम उठाए गए है। भारत में संपूर्ण लॉकडाउन भी लगाए गया। उसी क्रम में प्रधानमंत्री ने लोकल को वोकल बनाने की भी बात कहीं।  उसी परिप्रेक्ष्य में भोजपुरी गायिका खुशबू का एक गाना काफी वायरल हो रहा है। जिसमे वो अपने पति से लोकल को वोकल करने के लिए जिद्द कर रही है। जैसे फेयर लवली नहीं विक्को लेकर आना, लक्स नहीं संतूर लेकर आना और विदेशी ब्रांड घर में लाने का नहीं। यहां नीचे देखिए वो गाना

तो कल कर लिया ना पर्यावरण बचाने का ढोंग?

हमने पर्यावरण का ध्यान नहीं रखा तो आज हमे उसकी सज़ा मिलनी ही थी। हो ना हो ये कोरोना महामारी जो फैली है , ये सृष्टि ने खुद को बचाने का उपाय किया है। हर साल 5 जून को पर्यावरण दिवस विश्व भर में मनाया जाता है। हालांकि, एक भी दिन बिना शुद्ध पर्यावरण के जीना असंभव हैं , हाँ वो तो हम इंसान हैं । जो असंभव को संभव कर लेते हैं , वो भी अपनी सुविधा के अनुसार... जब हमे अपने समाज मे विकास को बढ़ाना होता है तो हम बड़ी ही आसानी से पेड़ों को काट कर शहर बसाते हैं, नई इमारतें, नये हर, नये मॉल और ना जाने किन- किन आधुनिक चीजों का अविष्कार करते हैं।  एक आधुनिक शहर की तो हम कामना करते हैं जहाँ सभी तरह की सुविधाएं हमे मिले.... फिर फिज़ा के गर्म होने पर शिकायतें क्यों? जब आधुनकिता वाला शहर बनाने को हमने इतने पेड़ काट दिये तो आज इस जेठ माह की दोपहर में मन घने पेड़ की छाँव तलाशता है क्यों? बहुत सवाल हैं, जवाब दे पाना मुश्किल है। पर कोई बात नही हमे तो स्मार्ट सिटी चाहिए फिर पेड़ के पेड़ ही क्यों ना काटने पड़े। वैसे सृष्टि ने अपना इंतजाम कर लिया है, परिणाम कुल मिला कर सामने महामारी के रूप में है। चलो इस महामार...